Wednesday, January 9, 2019

सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त


आशावादी हर कठिनाई में से उपयोगी अवसर ढूँढ़ निकालता है जबकि निराशावादी हर उपस्थिति अवसर में कोई न कोई कठिनाई देखता है और उसे करने से जी चुराने का कोई बहाना खोजता है। हर दिन, हर सप्ताह, हर मास, हर वर्ष हमारे लिए उज्ज्वल भविष्य के उपहार लिए हुए आता है, हम हैं जो न तो उसे पहचानते हैं और न उसका स्वागत करते हैं फलतः वह वापस चला जाता है और फिर कभी वापस लौटकर नहीं आता

शेक्सपियर कहते हैं- ‘समय को मैंने बर्बाद किया और वही बर्बादी मेरी परेशानी और बर्बादी का कारण बनी हुई है।’ फ्रेकलिन कहते थे “एक ‘आज’ दो ‘कल’ के बराबर है। इसलिए कल की प्रतीक्षा में न बैठो, जो करना है उसके लिए आज ही कमर कसनी और तैयारी करनी चाहिए। जिसने समय का मूल्य नहीं समझा समझना चाहिए कि वह छोटे काम करने और छोटे स्तर का बने रहने के लिए ही पैदा हुआ है।”

भूतकाल की चर्चा न करें। जो गया वह लौटने वाला नहीं। सोचा इतना ही जाना चाहिए कि जो शेष है वह कम महत्वपूर्ण नहीं। यदि भूत की शिकायत करने की अपेक्षा भविष्य की योजना बनाने में विचारों को केन्द्रित किया जाय और परिवर्तन का क्रम आज के दिन से ही आरम्भ किया जाय तो समझना चाहिए कि महत्वपूर्ण समझदारी का आरम्भ हुआ। ऐसी समझदारी जिसे कुछ समय कार्यान्वित कर लेने पर भी एक समूची जिन्दगी का लाभ मिल सकता है।
✍🏻पं श्रीराम शर्मा आचार्य📖 अखण्ड ज्योति जून 1983 पृष्ठ 2

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