9 सितंबर 09 को यानी 9-9-09 के अद्भुत संयोग वाले दिन शनि देव सिंह राशि से कन्या में प्रवेश कर रहे हैं। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में कन्या में लोहे के पाये से प्रवेश के कारण ये पहले 90 दिन पीड़ाकारक रहेंगे। वृषभ व मकर राशि वालों को ढैया से मुक्ति मिलेगी, कर्क राशि भी साढ़ेसाती से मुक्त होगी। वही तुला पर साढ़ेसाती व मिथुन व कुंभ के लिए ढैया का प्रारंभ होगा। आइए देखें शनिदेव के आगमन से अन्य राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
मेष : मेष राशि के लिए शनि स्वास्थ्य लाभ व धन लाभ देंगे मगर चिंताएँ लेकर आएँगे। परिवार, संतान व व्यापार-नौकरी संबंधित चिंताएँ परेशान कर सकती हैं।
वृषभ : हालाँकि ढैया से मुक्ति हो रही है। फिर भी पीड़ा व स्त्री-पुत्र को स्वास्थ्य कष्ट हो सकता है। सोच-समझकर निर्णय लेना चाहिए।
मिथुन : ढैया शुरू हो रही है। पीड़ाकारक है ये शनिदेव- भाई-परिवार से विवाद, यात्रा में कष्ट-भागदौड़, हानि व चिंता के योग हैं। नौकरी में भी सावधानी रखें।
सिंह : धनलाभ के योग हैं मगर बेहद भागदौड़ के बाद। चोट-चपेट का भी भय रहेगा। नौकरी में भी कष्ट हो सकता है। निर्णय लेते समय जल्दबाजी न करें।
कन्या : आलस्य, मानसिक पीड़ा व भय लेकर आ रहे हैं ये शनिदेव। वाद-विवाद व व्यर्थ भागदौड़ होगी, धन हानि के भी योग हैं। सावधानी रखना चाहिए।
तुला : साढ़ेसाती प्रारंभ है मगर ताँबे के पाये से हैं अत: श्रम व कष्ट बढ़ेगा, भागदौड़ करनी होगी परंतु साथ ही धन-वाहन सुख तथा अन्य सुविधाएँ बढ़ाने आ रहे हैं शनिदेव।
वृश्चिक : अच्छा समय, मान-सम्मान व धन प्राप्ति होगी। शुभ फल मिलेंगे, वाहन मशीनरी से लाभ होगा। मानसिक कष्ट दूर होंगे।
धनु : धन लाभ व आर्थिक अनुकूलता के योग तो बनेंगे मगर खर्च बढ़ने, भागदौड़-श्रम होने व स्थानांतरण के योग भी हैं। पेट व छाती के रोगों से सावधानी रखें।
मकर : ढैया से मुक्ति है मगर चिंता बनी रहेगी। कार्य की सफलता के लिए बेहद श्रम करना होगा। शरीर कष्ट रहेगा। वाहन भी सावधानी से चलाना चाहिए।
कुंभ : ढैया का प्रारंभ है मगर स्वराशि होने से शनिदेव अनुकूलता बनाएँगे। सुख-सुविधाएँ बढ़ेंगी। मगर जीवन अव्यवस्थित हो जाएगा, अधिक रिस्क नहीं लेना चाहिए। इस दौरान कर्ज लेने से भी बचें। शेष स्थिति ठीक है।
मीन : मानसिक तनाव व ढेर सारी भागदौड़ के बाद धन लाभ दिलाएँगे शनिदेव। व्यर्थ चिंता व डर भी रहेगा। दूर यात्रा का योग भी बन सकता है। धन का सही नियोजन करना सीखिए।
1. साढ़ेसाती के साढ़े सात वर्षों में से लगभग 46 महीने का समय शुभ व उन्नतिदायक ही रहता है। अत: यदि शेष माह सावधानी से बिताएँ जाएँ तो अशुभ प्रभाव न के बराबर अनुभव में आते हैं।
2. पत्रिका में यदि शनि 3-6-11 या 5-9 स्थानों में हो, त्रिकोणेश या लग्नेश हो तो शुभ प्रभाव अधिक मिलते हैं।
3. शनि की प्रतिकूल स्थिति में शनि का दान करना, शनि चालीसा पढ़ना, हनुमानजी की उपासना करना, शनि स्तोत्र पढ़ना व काले कुत्ते की सेवा करना अच्छा होता है।
4. यदि व्यक्ति नियमबद्ध आचरण करता है, संस्कारशील है, माँस-मदिरा से दूर रहता है, लोगों की सहायता व स्त्री का सम्मान करता है। ईमानदार है तो शनिदेव उसे कभी परेशान नहीं करते।
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