Wednesday, January 9, 2019

आत्मचिंतन के क्षण 2


अवसर की तलाश में मत रहो। बुद्धिमानों के लिए हर समय अवसर है। न वे मुहूर्त निकालते हैं, न साथ ढूँढ़ते हैं और न सहारा तकते हैं। सृष्टा ने समय को ऐसी धातु से गढ़ा है कि उसका प्रत्येक क्षण शुभ है। अशुभ तो मनुष्य का संशय है, जो पल में आशा बाँधता और पल में निराश होता है।

बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं। पतन और प्रलोभनों की सर्वत्र भरमार है। धरती पर गुरुत्वाकर्षण हर किसी को- हर घड़ी गिरने के लिए बुलाता और घसीटता है। अच्छाई का अवसर तो मनुष्य को स्वयं विनिर्मित करना पड़ता है। वह बिना बुलाये किसी के पास नहीं आता है। आदर्शों के प्रति निष्ठा और अपने भरोसे पर हिम्मत जिस घड़ी उठ पड़े, समझना चाहिए कि ऊँचे उठने आगे बढ़ने की शुभ घड़ी आ पहुँची।

राह मिले तो ठीक, नहीं तो उसे बुलाना चाहिए। अवसर आये तो ठीक, नहीं तो उसे आग्रहपूर्वक बुलाना चाहिए। जो अवसर का उपयोग जानते हैं वे उसे पैदा भी कर सकते हैं। आज का दिन हर भले काम के लिए उपयुक्त है। जो शुभ है उसे शीघ्र ही किया जाना चाहिए। देर तो उनमें करनी चाहिए जो अशुभ है। जिसे करते हुए अन्तःकरण में भय संकोच का संसार होता है।

मनस्वी लोगों ने कभी अवसर की शिकायत नहीं की, हमें अवसर मिलता तो यह कर दिखाने की डींग हाँकने वाले थोथे चने की तरह हैं जो सिर्फ बज सकते हैं, उग नहीं सकते। अवसर आगे बढ़कर हाथ में लिया जाता है और अपनी प्राणाणिकता के आधार पर उसे सार्थक कर दिखाया जाता है। काम चाहे छोटा ही क्यों न हो, यदि सही तरीके से कर दिखाया जायगा तो उससे अच्छा परिणाण अनायास ही दौड़ता आयेगा और कहेगा कि हमें भी कर दिखाया जाय। यही उन्नति की सीढ़ी है। एक-एक कदम आगे बढ़ने और ऊँचे उठने का तरीका यही रहा है कि एक काम सही तरीके से किया नहीं गया कि उससे अच्छा, तत्काल आगे आ उपस्थित हुआ।

✍🏻पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 अखण्ड ज्योति जून 1983 पृष्ठ 26

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