Thursday, July 18, 2013

वैदिक प्रश्नोत्तरी


स्वामी जी इस सृष्टि का स्वामी एवं नियंता कौन है? इस सृष्टि में प्रथम कौन आया?
इस सृष्टि का स्वामी एवं नियंता स्वयं सर्वशक्तिमान निराकार, सर्वव्यापक ईश्वर है जो सृष्टि का रचयिता, पालनकर्ता एवं संहारकर्ता है। सृष्टि रचना नित्य एवं शाश्वत है। जीवात्मा का स्वरूप भी नित्य एवं शाश्वत है तथा जीवात्माएं अपने द्वारा किए हुए शुभ एवं अशुभ कर्मों के आधार पर ही शरीर धारण करती हैं। इसके अतिरिक्त जड़-प्रकृति, जिसके द्वारा संपूर्ण जड़ ब्रह्मांड की रचना होती है, वह भी नित्य एवं शाश्वत है। अतः चेतन ईश्वर, चेतन जीवात्माएं एवं जड़ प्रकृति, ये नित्य एवं शाश्वत तीन विषय हैं, जिनके बारे में वेदों में वर्णन किया गया है। यही वेदों में कहा त्रैतवाद है। अतः इस आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि प्रथम कौन आया, क्योंकि सृष्टि रचना का न कोई आदि है और न कोई अंत। पृथवी बनती है, नष्ट होती है और पुनः बन जाती है।

भगवद् गीता किस की रचना है?
श्रीमद्भगवद् गीता महाभारत ग्रंथ के भीष्म पर्व के 18 अध्याय हैं जो व्यासमुनि द्वारा रचित हैं। मैं आपको सलाह देता हूं कि आप ईश्वर कृपा से मेरे द्वारा रचित ‘श्रीमद्भगवद् गीता – एक वैदिक रहस्य’ का अध्ययन करें।

वेद एवं ईश्वर के ज्ञाता ब्राह्मण को दान क्यों दिया जाता है?
यजुर्वेद मंत्र 31/11 के अनुसार वेद एवं ईश्वर के ज्ञाता को ब्राह्मण कहते हैं और धर्म स्थापना के लिए इन्हें दान दिया जाता है। नट-नर्तकों को यश के लिए, सेवकों को भरण-पोषण और राजाओं को भय के कारण दान दिया जाता है।

ज्ञान किसे कहते हैं?
वेद ही ज्ञान है। वेदाध्ययन, वेदानुसार शुभ-कर्म एवं योग-साधन द्वारा परमात्म तत्त्व का यथार्थ बोध ही ज्ञान है।

शम क्या कहलाता है?
चित्त की शांति ही शम है।

मनुष्य का दुर्जय शत्रु कौन सा है?
क्रोध मनुष्य का दुर्जय शत्रु है।

अनंत व्याधि (अनंत दुख) क्या है?
लोभ अनंत व्याधि है?

मोह किसे कहते हैं?
धर्म मूढ़ता (कर्त्तव्य पालन न करना) ही मोह है।

स्वामी जी वेद किसने लिखे हैं?
वेद ऋषि, मुनि, मनुष्य आदि किसी ने भी नहीं लिखे हैं। वेद का अर्थ है ज्ञान। यजुर्वेद मंत्र 7/4 में स्पष्ट किया है कि यह ज्ञान पृथ्वी रचना के आरंभ में ईश्वर से निकलकर अमैथुनी सृष्टि के चार ऋषियों के हृदय में ईश्वर की सामर्थ्य से प्रकट होता है। हम मनुष्य हैं, हमें कागज, कलम आदि का सहारा चाहिए। ईश्वर सर्वशक्तिमान है, अतः उसे कागज, कलम, दवात अथवा आंख, नाक, हाथ आदि के सहारे की आवश्यकता नहीं है। इसलिए वेद का ज्ञान बिना बोले और बिना लिखें इन ऋषियों में प्रकट होता है।
वृद्ध कौन है?
मनु-स्मृति श्लोक 2/128 में कहा-चाहे कोई 100 वर्ष की आयु का भी हो परंतु जो विद्या विज्ञान से रहित है वह बालक है और जो विद्या विज्ञान का दाता है उस बालक को भी पिता के  समान मानना चाहिए। क्योंकि विद्वान जन अज्ञानी को बालक और ज्ञानी को पिता कहते हैं। ऋग्वेद मंत्र 5/43/15 में भी कहा है कि जो वेद और योग-विद्या के ज्ञान से शुद्ध बुद्धि प्राप्त करते हैं तथा सदा श्रेष्ठ शुभ कर्म ही करते हैं, उन्हें भी वृद्ध अथवा विद्वान कहते हैं।