Tuesday, November 22, 2011

सही वास्तु दिलाएगा धन-समृद्धि...


यूं तो किसी को किस्मत से ज्यादा नहीं मिलता लेकिन कई बार अनेक बाधाओं के कारण किस्मत में लिखी धन-समृद्धि भी प्राप्त नहीं होती। वास्तु को मानने वाले अगर इसके मुताबिक काम करें तो उन्हें वो मिल सकता है जो अब तक नहीं मिला है।

पूर्व दिशा : यहां घर की संपत्ति और तिजोरी रखना बहुत शुभ होता है और उसमें बढ़ोतरी होती रहती है।

पश्चिम दिशा : यहां धन-संपत्ति और आभूषण रखे जाएं तो साधारण ही शुभता का लाभ मिलता है। परंतु घर का मुखिया अपने स्त्री-पुरुष मित्रों का सहयोग होने के बाद भी बड़ी कठिनाई के साथ धन कमा पाता है।

उत्तर दिशा : घर की इस दिशा में कैश व आभूषण जिस अलमारी में रखते हैं, वह अलमारी भवन की उत्तर दिशा के कमरे में दक्षिण की दीवार से लगाकर रखना चाहिए। इस प्रकार रखने से अलमारी उत्तर दिशा की ओर खुलेगी, उसमें रखे गए पैसे और आभूषण में हमेशा वृद्धि होती रहेगी।

लक्ष्मी प्राप्ति उपाय
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दक्षिण दिशा : इस दिशा में धन, सोना, चाँदी और आभूषण रखने से नुकसान तो नहीं होता परंतु बढ़ोत्तरी भी विशेष नहीं होती है।

ईशान कोण : यहां पैसा, धन और आभूषण रखे जाएं तो यह दर्शाता है कि घर का मुखिया बुद्धिमान है और यदि यह उत्तर ईशान में रखे हों तो घर की एक कन्या संतान और यदि पूर्व ईशान में रखे हों तो एक पुत्र संतान बहुत बुद्धिमान और प्रसिद्ध होता है।

आग्नेय कोण : यहां धन रखने से धन घटता है, क्योंकि घर के मुखिया की आमदनी घर के खर्चे से कम होने के कारण कर्ज की स्थिति बनी रहती है।

नैऋत्य कोण : यहां धन, महंगा सामान और आभूषण रखे जाएं तो वह टिकते जरूर है, किंतु एक बात अवश्य रहती है कि यह धन और सामान गलत ढंग से कमाया हुआ होता है।

वायव्य कोण : यहां धन रखा हो तो खर्च जितनी आमदनी जुटा पाना मुश्किल होता है। ऐसे व्यक्ति का बजट हमेशा गड़बड़ाया रहता है और कर्जदारों से सताया जाता है।

सीढ़ियों के नीचे तिजोरी रखना शुभ नहीं होता है। सीढ़ियों या टायलेट के सामने भी तिजोरी नहीं रखना चाहिए। तिजोरी वाले कमरे में कबाड़ या मकड़ी के जाले होने से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।

घर की तिजोरी के पल्ले पर बैठी हुई लक्ष्मीजी की तस्वीर जिसमें दो हाथी सूंड उठाए नजर आते हैं, लगाना बड़ा शुभ होता है। तिजोरी वाले कमरे का रंग क्रीम या ऑफ व्हाइट रखना चाहिए।

Saturday, November 12, 2011

हरी सब्जियों के लाभ!


गोभी, आलू, बीन्स आदि शरीर के विविध भागों, तत्वों, मात्राओं को प्रभावित करते हैं।
*अदरक, धनिया, पुदीना, हरी मिर्च सब्जियों के तत्वों एवं स्वाद को बढ़ाने में मदद करते हैं।
* लहसुन खून का थक्का जमने नहीं देता अतः हृदय रोग में लाभकारी है।
* करेला पेट के कृमि नष्ट करता है और रक्त शोधन कर, अग्नाशय को सक्रिय करता है।
* टमाटर शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ाता है और त्वचा निखारता है।
*नींबू शरीर के पाचक रसों को बढ़ाता है।
*पालक हड्डियों को कैल्शियम से सुदृढ़ करता है।
*भिंडी वीर्य में गाढ़ापन लाती है और शुक्राणु बढ़ाती है।
* लौकी शीघ्र पाचक, रक्तवर्द्धक है। यह शीतलता प्रदान करती है।
*खीरा रक्त कणों का शोधन कर शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ाता है।
* परवल शरीर को ऊर्जा देता है।
*पत्तेदार सब्जी लौह तत्व से भरपूर होती है अतः इन सबका उचित रूप से सलाद में प्रयोग करें या हल्की भाप पर थोड़ी देर पकाकर कम मसाले के साथ सेवन करें।
*सब्जी को काटने से पूर्व अच्छी तरह धो लें। काटने के बाद धोने से सब्जी के तत्व नष्ट होते हैं।
* सब्जी पकाते समय ज्यादा तेल का उपयोग न करें।
* स्वाद के लालच में सब्जियों को ज्यादा देर तक आग पर न रखें। इससे उनकी पौष्टिकता नष्ट हो जाती है।
* खाने में अधिक मिर्च-मसाले का प्रयोग सब्जी के प्राकृतिक स्वाद व ऊर्जा को कम करते हैं।
*बासी, फ्रिज में रखी सब्जियों को बार-बार गरम न करें।
* हमेशा ताजी सब्जियां ही प्रयोग में लाएं।

वास्तु एवं पुरुषार्थ


अनादिकाल से ऋषि-मुनियों, आचार्यों, सरस्वती पुत्र एवं श्रेष्ठी जनों का बराबर सम्मान होता रहा है वर्तमान समय में दूरदर्शन एवं समाचार पत्रों ने वास्तु, न्यूमरोलॉजी, ज्योतिष, योगा व मेडीटेशन इत्यादि शास्रों की जानकारी जन-जन तक पहुंचा दी है। उपरोक्त सफलता पाने के लिए पूर्व जन्म का संस्कार वर्तमान समय के पुरुषार्थ एवं लगन ही हमें मंजिल पर पहुंचा सकती है। वर्तमान समय में हर तरफ शास्रों की गूंज हो रही है। श्रेष्ठी वर्ग अपने व्यापार एवं व्यवसाय में असफल होने लगता है, उन्हें अपने आफिस, फैक्टरी, निवास में त्रुटियां महसूस होने लगती है। क्या असफलता का उत्तरदायित्व वास्तु पर ही है। निम्नलिखित बातों को अपने जीवन में उतारें। सफलता क्यों न हमारे कदम चूमेगी। विश्व धर्म में भावनाओं का महत्त्व माना गया है। भावना भव नाशिनी भावना भव वंदिनी। मानव के मन में भावना की उत्पत्ति अच्छी (पोजेटिव) और बुरी (निगेटिव) कैसे होती है। भावनाएं ऊर्जाओं पर निर्भर करती है। सकारात्मक ऊर्जाओं को बुलाने के लिए वास्तु शास्र का सहयोग हम लेते हैं। मन में उत्साह लाने में अन्य कई शास्रोें का भी सहयोग लेते हैं।  सोच बदलो संसार बदल जाएगा। भावना बदलो भाव बदल जाएंगे। वास्तु शास्र आपको मार्ग दर्शन देता है। अच्छे सोच का वातावरण आपके सम्मुख लाता है।  वातावरण को ग्रहण करना और मार्ग पर चलना आपको पड़ेगा। सबको साथ लेते हुए भी पुरुषार्थ में कमजोर हैं, तो कुछ भी बदलने वाला नहीं। शास्र अनुकूल बनाए गए आवास, व्यापारिक प्रतिष्ठान पर सकारात्मक ऊर्जा देने के स्रोत हैं। सकारात्मक ऊर्जाओं के आगमन के मार्ग ः-
सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने में सहायक
1. ईशान कोण में अंडरग्राउंड टैंक, डीप बोरिंग, कुआं, देवस्थान, भूखंड का नीचा होना, स्थान खाली होना इत्यादि।
2. अग्नि कोण में किचन, इलेक्ट्रिक रूम व जेनरेटर इत्यादि।
3. नेऋत्य कोण में मुख्यकर्ता का शयनकक्ष, भूखंड का ऊंचा होना, शस्रगृह, तिजोरीकक्ष (मतांतर उत्तर में) इत्यादि।
4. वायव्य कोण में सेप्टीक टैंक, सीढि़यां, गेस्टरूम, लड़कियों का कमरा, शौचालय, किचन (मतांतर द्वितीय अग्निकोण) इत्यादि।
सम्पत केएस सेठी, विवेक विहार, हावड़ा