Sunday, November 18, 2012

रंगों की कथा


*सबसे पहले हमें यह समझना चाहिए कि रंग 3 बुनियादी रंगों से व्यवहार करते हैं-सक्रिय, मंद एवं निर्पेक्ष।
*हल्के रंग विस्तार के सूचक एवं हवादार होते हैं और वे कमरे को बड़ा और चमकदार बनाते हैं।
*गाढ़े रंग बहुत मंझे हुए और सौहार्दपूर्ण होते हैं। वे एक बड़े कमरे को अपनेपन की आभा प्रदान करते हैं।
*चलिए जानते हैं, रंगों के बारे में कुछ और कि वे एक कमरे को क्या कर सकते हैं :

लाल रंग से कमरे का ऊर्जा स्तर बढ़ता है। जब आप खासतौर पर रात के समय उत्तेजना पैदा करना चाहते हैं तो इस रंग का चयन बहुत उपयुक्त रहता है।

बैठक हो या डाइनिंग रूम, लाल रंग लोगों को एक जगह एकत्र होने और वार्तालाप करने को प्रेरित करता है। किसी स्थान पर प्रवेश करने के रास्ते में लाल रंग बहुत सशक्त प्रभाव पैदा करता है। यह पाया गया है कि लाल रंग रक्तचाप को बढ़ाता है, श्वास गति को तेज करता है और दिल की धड़कन में वृद्धि करता है। बैडरूम के लिए इसे आमतौर पर अधिक उत्तेजनापूर्ण समझा जाता है लेकिन जब आप कमरे में रात के समय ही आते हैं और रोशनी जलाते हैं तो लाल रंग काफी मंद, घना और सौम्य लगता है। किसी भी अन्य रंग की उपेक्षा यह आप में अधिक जोश भरता है।

किरमची (क्रिमसन) रंग लोगों को चिड़चिड़ा बना देता है। इसे देखकर गुस्सा और विद्वेश बढ़ता है। इस रंग का बिल्कुल ही प्रयोग नहीं करना चाहिए। जिस कमरे की दीवारों पर यह रंग पेंट किया गया होता है वहां लंबे समय तक बैठना घर की शांति और समरसता पर बुरा प्रभाव डालता है।

पीला रंग : यह बहुत बातूनी रंग है। यह सूर्य की रोशनी की खुशी को जज्ब कर लेता है और उल्लास का संचार करता है। पीला रंग रसोई, डाइनिंग रूम एवं बाथरूमों के लिए एकदम सम्पूर्ण होता है क्योंकि वहां ऊर्जादायक एवं स्फूर्तिदायक रंगों की जरूरत होती है। हाल, ड्योढ़ी एवं छोटी जगहों पर पीला रंग विस्तारदायक  एवं अभिवादनीय लगता है। बेशक पीला रंग बहुत उल्लासपूर्ण है फिर भी कोई कमरा डिजाइन करते समय मेन कलर स्कीम में इसे प्रयुक्त करना ठीक नहीं। अध्ययनों से पता चलता है कि पीले इंटीरियर में लोग जल्दी गुस्से में आ जाते हैं। बच्चे भी पीले पेंट वाले कमरे में अधिक रोते हैं। यदि यह रंग बहुत अधिक मात्रा में प्रयुक्त किया जाए तो लोगों में गुस्से और हताशा की भावनाएं बढ़ती हैं। रंग चिकित्सा में यह माना जाता है कि पीला रंग तंतुओं को उत्तेजित करता है और काया को शुद्ध करता है।
नीला रंग : नीला रंग रक्तचाप को नीचे लाता है और श्वास एवं हृदय गति को मंद करता है। यही कारण है कि  इसे शांति प्रदायक, सुखद एवं  निर्मल माना जाता है और अक्सर बैडरूम तथा बाथरूम के लिए इसकी सिफारिश की जाती है लेकिन सावधान रहें कि नीला स्लेटी रंग जो किसी पट्टी पर तो बहुत प्यारा लगता है परंतु जब इसे खास तौर पर कुदरती रोशनी से भरे कमरे में दीवारों और फर्निशिंग पर बहुत अधिक मात्रा में उपयुक्त किया जाता है तो यह रोगकारक ठिठुरन का आभास देता है।

यदि आप किसी कमरे में प्राइमरी रंग के रूप में हल्के नीले का चयन करते हैं तो इसे फर्निशिंग और कपड़ों के गर्माहट देने वाले रंगों से संतुलित करें। सामाजिक स्थलों (बैठक, लिविंग रूम, बड़ी रसोई) में शांत भाव को प्रोत्साहित करने के लिए काशनी अथवा चमकदार नीले रंगों जैसे टर्कोयस या सैरूलियन जैसे सनिग्ध रंगों  को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह माना जाता है कि नीले रंग को कमरे में मुख्य रूप के रंग में प्रयुक्त किया जाए तो यह शांत भाव में वृद्धि करता है।

नीले रंग का हल्का शेड ही प्रयुक्त करना चाहिए। गाढ़े नीले रंग से परहेज करना चाहिए क्योंकि इसका विपरीत प्रभाव होता है और यह उदासी की भावनाएं बढ़ाता है इसलिए अपनी मुख्य कलर स्कीम में गाढ़े नीले रंग को प्रयुक्त न करें।  

हरा रंग : हरा रंग आंखों को राहत पहुंचाता है। हरा रंग घर के किसी भी कमरे (लिविंग रूम, फैमिली रूम) के लिए सही रहता है। हरा रंग  तनाव से भी राहत पहुंचाता है। बैडरूम में हरा रंग प्रजनन क्षमता को भी बढ़ाता है।

जामनी रंग : जामनी रंग लग्जरी और रचनात्मकता से जुड़ा हुआ है। हल्का जामनी रंग बैडरूम में आराम का अनुभव करवाता है। यह नीले रंग जैसे ही प्रभाव देता है।

संतरी रंग : संतरी रंग उत्सुकता व ऊर्जा को बढ़ाने वाला है। लिविंग व बैडरूम में लगाने के लिए यह रंग सही नहीं है। कसरत करने वाले कमरे में लगाने के लिए यह सही रंग है। पुराने समय से ही माना जाता रहा है कि यह रंग एनर्जी लैवल को बढ़ाने वाला है। तटस्थ या उदासीन रंग (काला, ग्रे, सफेद और ब्राऊन) ये  किसी डैकोरेटर की टूल किट के मूल रंग होते हैं। सभी तटस्थ स्कीमें फैशन में आती-जाती रहती हैं मगर इन रंगों की लचकता बनी रहती है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि प्रत्येक रूम को काले रंग की आवश्यकता होती है जो अन्य रंगों को गहराई प्रदान करता है।

रंगों का दीवारों व छतों पर प्रभाव
सीलिंग कमरे की 1/6 स्थान प्रस्तुत करती है मगर ज्यादा से ज्यादा सफेद रंग ही प्रयोग में लाया जाता है। नियम के मुताबिक सीलिंग का अगर हल्का रंग हो तो दीवारें ऊंची लगती हैं। गहरे रंग की दीवारों से कमरा छोटा लगता है।  
♦ रीटा छाछी

कैसा हो आपका किचन

महिलाओं का ज्यादातर समय किचन में ही व्यतीत होता है। वास्तुशास्त्रियों के मुताबिक यदि किचन का वास्तु सही न हो तो महिला और घर पर उसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। किचन बनवाते समय कुछ बातों पर गौर करना जरूरी है, ताकि वहां पॉजिटिव एनर्जी बनी रहे। किचन की ऊँचाई 10 से 11 फीट होनी चाहिए और गर्म हवा निकलने के लिए वेंटीलेटर होना चाहिए। किचन से लगा हुआ कोई जल स्त्रोत नहीं होना चाहिए। किचन के बाजू में बोर, कुआँ, बाथरूम बनवाना अवाइड करें, सिर्फ वाशिंग स्पेस दे सकते हैं। यदि 4-5 फीट में किचन की ऊँचाई हो तो महिलाओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

ध्यान रखें किचन में सूर्य की रोशनी जरूर आए। किचन की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि इससे पॉजिटिव एनर्जी आती है।

- किचन हमेशा दक्षिण-पूर्व कोना जिसे अग्निकोण (आग्नेय) कहते है, में ही बनवानी चाहिए। यदि इस कोण में किचन बनाना संभव न हो तो उत्तर-पश्चिम कोण (वायव्य कोण) में बनवा सकते हैं।

- किचन का प्लेटफार्म पूर्व में ही होना चाहिए और ईशान कोण में सिंक व अग्नि कोण में चूल्हा लगाना चाहिए।

- किचन के दक्षिण में कोई दरवाजा या खिड़की नहीं होने चाहिए। खिड़की पूर्व की ओर ही रखें।

- रंग का चयन महिलाओं की कुंडली के आधार पर करना चाहिए।

- किचन में ग्रेनाइट फ्लोर या प्लेटफार्म नहीं बनवाना चाहिए और न ही मिरर जैसी कोई चीज होनी चाहिए, क्योंकि इससे घर में कलह की स्थिति बढ़ती है।

- किचन में लॉफ्ट, अलमारी दक्षिण या पश्चिम दीवार में ही होनी चाहिए।

- पानी फिल्टर ईशान कोण में लगाएँ।

- किचन में कोई भी पावर प्वाइंट जैसे मिक्सर, ग्रांडर, माइक्रोवेव, ओवन को प्लेटफार्म में दक्षिण की तरफ रखना चाहिए। फ्रिज हमेशा वायव्य कोण में रखें।

बिटिया के विवाह में विलंब तो करें ये उपाय


विवाह योग्य बिटिया की शादी में अनावश्यक विलंब के कारण माता-पिता का चिंतित होना स्वाभाविक है। ज्योतिषीय कारण जातक की शादी में विलंब के लिए प्रमुख रूप से उत्तरदायी होते हैं। यदि बिटिया की शादी तय होने में बार-बार रुकावट आ रही हो तो शादी से संबंधित बाधक ग्रह-योगों के उपाय करने से शादी के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा होकर शीघ्र उत्तम घर व वर मिलने में मदद मिलती है। कुंडली में विवाह का विचार मुख्यत:  सातवें भाव, सप्तमेश, लग्नेश, शुक्र एवं गुरु की स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाता है।

सप्तम भाव इसलिए, क्योंकि कुंडली में विवाह से संबंधित भाव यही है। सप्तमेश को देखना इसलिए आवश्यक है क्योंकि वही इस भाव का स्वामी होगा। कन्या की कुंडली में गुरु की स्थिति प्रमुख रूप से विचारणीय होती है क्योंकि उनके लिए गुरु पति का स्थायी कारक है। लग्नेश का सप्तमेश एवं पंचमेश के साथ संबंध भी विवाह को प्रभावित करता है। विवाह संबंधी प्रश्नों में लग्न कुंडली, चंद्र कुंडली और नवमांश कुंडली तीनों से ही विचार करना चाहिए। जन्म कुंडली में कुछ ऐसे योग होते हैं, जो जातिका के विवाह में विलंब का कारण बनते हैं।

प्रमुख कारण जन्म कुंडली में शुक्र वैवाहिक सुख से संबंधित है। वहीं महिलाओं के लिए गुरु पति, पुत्र तथा धन का प्रतिनिधि  ग्रह है। अत: पति सुख के लिए महिलाओं की कुंडली में गुरु की स्थिति विचारणीय है। स्त्री की कुंडली में सप्तम भाव में शनि या चौथे भाव में मंगल आठ अंश तक हो तो विवाह में बाधा आती है। इसी प्रकार स्त्री कुंडली में सप्तम भाव के स्वामी के साथ शनि बैठा हो तो विवाह अधिक आयु में होता है। सातवें भाव में शनि हो और कोई पापी ग्रह उसे देखता हो तो उसका विवाह काफी मुश्किल से होता है।

शनि, सूर्य, राहु, 12वें भाव का स्वामी (द्वादशेश) तथा राहु अधिष्ठित राशि का स्वामी (जैसे राहु मिथुन राशि में बैठा हो तो, मिथुन का स्वामी बुध राहु अधिष्ठित राशि का स्वामी होगा)। ये पांच ग्रह विच्छेदात्मक प्रवृति के होते हैं। इनमें से किन्हीं दो या अधिक ग्रहों की युति या दृष्टि संबंध जन्म कुंडली के जिस भाव स्वामी से होता है तो उसे हानि पहुंचाते हैं। अत: सप्तम भाव या उसके स्वामी को इन ग्रहों द्वारा प्रभावित करने पर विवाह में विलंब हो सकता है तथा दाम्पत्य जीवन में कटुता आती है। सप्तम भाव, सप्तमेश और द्वितीय भाव पर कू्रर ग्रहों का प्रभाव वैवाहिक जीवन में क्लेश उत्पन्न करता है।

शुक्र की नेष्ट स्थिति हो, वह सप्तमेश होकर पाप प्रभाव में हो, नीच व शत्रु नवांश का या षष्ठांश में हो तो विवाह में विलंब तथा दाम्पत्य सुख में बाधा आती है। राहु-केतु सप्तम भाव में हों व उसकी कू्रर ग्रहों से युति हो या उस पर पाप दृष्टि हो, तो विवाह में विलंब होता है तथा दाम्पत्य तनावपूर्ण होता हैं। दोष भी होते हैं कारण घर-परिवार में किसी तांत्रिक प्रयोग के कारण अथवा स्वयं की कुंडली में ग्रह दोष, पितृदोष आदि के कारण संतान के विवाह में अनावश्यक विलंब होता है तथा घर में सम्पन्नता नहीं आ पाती है। ऐसी स्थिति में पितृदोष आदि की शांति करा लेनी चाहिए। विवाह में बाधक ग्रहों की शांति, जप आदि कराने से विवाह शीघ्र होता है।

कन्या की कुंडली में विवाह में विलंब के कुछ प्रमुख योग इस प्रकार हो सकते हैं। विवाह से संबंधित सातवें भाव का स्वामी शुभ युक्त न होकर 6, 8, 12वें भाव में हो और नीच या अस्त हो, तो जातक के विवाह में विलंब हो सकता है। यदि 6, 8, 12वें भाव का स्वामी सप्तम भाव में विराजमान हो, उस पर किसी ग्रह की शुभ दृष्टि न हो या किसी ग्रह से उसका शुभ योग न हो, तो विवाह मे विलंब तथा वैवाहिक सुख में बाधा आती है। लग्न में सूर्य बैठा हो और शनि स्वग्रही (मकर या कुंभ राशि में) होकर सप्तम भाव में विराजमान हो तो विवाह विलंब से होता है। सप्तमेश वक्री हो व शनि की दृष्टि सप्तमेश व सप्तम भाव पर पड़ती हो तो विवाह में विलंब होता है।

सप्तम भाव व सप्तमेश पाप कत्र्तरी योग में हों तो विवाह विलंब से होता है। ऐसे करें उपाय सर्व प्रथम विवाह में बाधक ग्रहों की पहचान कर उस ग्रह से संबंधित व्रत, दान, जप आदि करने चाहिएं। पितृ शांति कराएं। पति के कारक ग्रह गुरु के व्रत विशेष लाभकारी होते हैं। इस दिन हल्दी मिश्रित जल केले को चढ़ाएं, घी का दीपक जलाएं तथा गुरु मंत्र ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नम: का जप करें। वीरवार को पके केले स्वयं नहीं खाएं। इनका दान करें। विवाह योग्य कन्या को मकान के वायव्य दिशा में सोना चाहिए।

इसके अलावा अपनी राशि के अनुसार उपाय करें, शीघ्र विवाह के अवसर प्राप्त होंगे।

-शीघ्र वर प्राप्ति के लिए मंत्र साधना

ॐ लीं विश्वासुर्नाम गन्धर्व:। कन्यानामधिपति: लभामि। देवदत्तो कन्यां सुरूपां सालकारां तस्मै विश्वासवै स्वाहा।।

वीरवार को किसी शुभ योग में इस मंत्र का फिरोजा की माला से पांच माला जप करें। यह क्रिया ग्यारह वीरवार करें, उत्तम वर व घर शीघ्र मिलेगा।

-ॐ ह्नीं कुमाराय नम: स्वाहा।

सात सोमवार तक नियमित रूप से पारद शिवलिंग के सम्मुख इस मंत्र की 21 माला का जप सोमवार को करें। योग्य वर के साथ शीघ्र विवाह के योग बनेंगे।

ॐ बहि प्रेयसी स्वाहा। महाविद्या भुवनेश्वरी यंत्र के सम्मुख इस मंत्र का सवा लाख जप  करें, उत्तम वर से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे।

-कात्यायिनी महामाये महायोगिनीधीश्वरी। नन्द-गोपसुतं देवि! पतिं में कुरु ते नम: ।।

मां पार्वती के चित्र के सामने, पूजा करने के बाद इस मंत्र की ग्यारह माला का जप करें। यह क्रिया 21 दिनों तक नियमित रूप से करें।

Monday, November 12, 2012

मन के दीये


रोशनी का यह पर्व अपने भीतर के अंधेरों को दूर कर मन के दीयों को जलाने की प्रेरणा भी देता है। इस दीपावली नए सिरे से उम्मीदों के दीये जलाएं और उसे पूरा करने में जी-जान से जुट जाएं..

आज दीपावली है। रोशनी और खुशी का पर्व। इस शुभ अवसर पर हम अपने घर-आंगन की गंदगी को अच्छी तरह साफ करते और दीवारों का रंग-रोगन करते है। घर-बाहर को खूबसूरती से सजाते है। मन में कई दिन पहले से खुशियों की फुलझड़ियां छूट रही होती है। जिन्हे दीवाली से ठीक पहले नौकरी मिल गई है या जिन्हे किसी परीक्षा में कामयाबी मिली है, उनके लिए इस प्रकाश पर्व की खुशियां नि:संदेह और बढ़ गई होंगी। हालांकि करियर और तरक्की के लिए जद्दोजहद कर रहे उन युवाओं के लिए जलते दीये और फुलझड़ियां कहीं न कहीं टीस भी पैदा कर रही होंगी, लेकिन उन्हे हताशा से बचते हुए प्रकाश के इस पर्व से प्रेरणा लेते हुए अपने मन को रोशन करने पर ध्यान देना चाहिए।

भीतर भी झांकें:
दीपावली के इस मौके पर घर को तो जरूर चमकाएं, लेकिन इसके साथ-साथ अपने भीतर बैठे अंधेरे को पहचान कर उसे जल्द से जल्द दूर भगाने का उपक्रम करे। आमतौर पर होता यह है कि हम ऊपरी साफ-सफाई करके ही संतुष्ट हो जाते है। अपने भीतर उग आई गंदगी, जालों और अंधेरे बंद कमरों को साफ करके उनमें उजाला भरने की सुध हमें नहीं आती। दरअसल, हम एक तरह से खुद से अनजान रहते है और अपने मन में छिपकर बैठे अंधेरों को पहचान ही नहीं पाते। यह जान ही नहीं पाते मन के इस अंधेरे से जीवन और करियर में हमें कितना नुकसान हो रहा है।

मन का उजाला:
दीप पर्व हमें मौका देता है कि हम खुद के भीतर भी झांक कर देखें। कहीं हमारे भीतर जाने-अनजाने अंधेरे का कोई दानव तो नहीं छिपा बैठा है। उसे तलाशें। उसे वहां से निकालें और मन को झाड़-पोंछकर चमकाएं, ताकि उससे गंदगी की परत हट जाए। यह गंदगी दूर होगी, तभी मन चमकेगा। जगमगाएगा। एक बार स्याह परत को हटा देने के बाद ध्यान रखें कि फिर से यह जमने न पाए, क्योंकि आपकी सफलता-असफलता में आपके मन का सबसे बड़ा हाथ होता है। अपने मन के भीतर उम्मीदों के दीये जलाएं, जो हर समय रोशन रहें। आज के समय में हर व्यक्ति के मन में रोशनी का यह दीया हमेशा जलते रहना चाहिए।

रोशनी की किरण:
मन में उम्मीद का दीया जल जाने के बाद उससे निकलने वाली ज्योति हर पहल आपके रास्तों को रोशन करती रहेगी। जब कभी आप हताश या निराश होंगे, आपको अपने भीतर से ही प्रकाश निकलता महसूस होगा, जो आपको अंधेरे की ओर जाने से बचाते हुए आपकी राह को सदा रोशन रखेगा।

बनाएं नए रास्ते:
मंदी और महंगाई के बीच आज मनपसंद करियर चाहने वालों के लिए मुश्किलें पहले से कहीं ज्यादा है। अवसर कम है और दावेदार ज्यादा। ऐसे में कामयाबी कुछ को ही मिलती है। बाकी बेबस हाथ मलते और दूसरों से रश्क करते रह जाते है। लेकिन मुश्किलें है तो रास्ते भी है। जो ढूंढेगा, वह पाएगा। आज के समय में विकल्पों की कमी नहीं है। अपने आपको किसी सीमा में न बांधें। बाड़े तोड़े। बनी-बनाई लकीर या रास्तों पर चलने के बजाय नए रास्ते बनाएं और साहस के साथ उस पर आगे बढ़े। रास्ता कहीं न कहीं तो निकलेगा ही। याद करे कोलंबस अगर डर कर हिम्मत हार बैठा होता, तो क्या आज अमेरिका सबके सामने होता। दिशा सूचक यंत्र खराब हो जाने और अपने नाविकों की चेतावनी के बावजूद उसने सिर्फ साहस के बल पर न केवल आगे बढ़कर दिखाया, बल्कि एक नई दुनिया खोज दी।

भरोसा बढ़ाएं:
एक बात गांठ बांध लें, अगर आपने एक बार अपने मन के अंधेरे को दूर कर वहां दीया जला लिया, तो फिर आपके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं रह जाएगा। मन के उजाले के साथ खुद पर आपका भरोसा भी बढ़ जाएगा, जो आपकी ताकत बनकर झलकेगा। जीत और कामयाबी के लिए भरोसा ही सबसे बड़ा शस्त्र है। आत्मविश्वास के बिना बड़े से बड़े पहलवान को भी धूल चाटते देर नहीं लगती और पिद्दी समझा जाने वाला व्यक्ति अपने कॉन्फिडेस के बल पर ही सूरमा बन जाता है। इसलिए अपने भरोसे को जगाएं और उसे अपनी शक्ति बनाएं।

पीछे नहीं आगे:
आप यह कतई न सोचें कि आपने अब तक क्या-क्या गंवाया है? कहां-कहां आपको असफलता हाथ लगी है? क्यों आप सबसे पीछे रह जाते है? यह न सोचें कि आप तो हर काम में हमेशा नाकाम ही होते रहे है और आगे भी ऐसा ही होगा। अतीत में जो हो गया, सो हो गया। इस दलदल से खुद को बाहर निकालें। अब आप आगे की ओर देखें। अगर आप ठान लें, तो कोई भी आपकी चाही हुई मंजिल तक पहुंचने से आपको रोक नहीं सकता। हां, इसके लिए कोई दूसरा सहारा नहीं बनेगा। मुश्किलों-झंझावातों का मुकाबला करते हुए आपको खुद आगे बढ़ना होगा। इस दौरान न तो हिम्मत हारे और न ही घुटने टेकें। मन को मजबूत करते हुए पूरी ताकत से आगे बढ़े। अवरोधों की परवाह न करे, क्योंकि अवरोध तो आएंगे ही। एक बार अवरोधों को पार कर लिया, तो फिर आपकी जीत पक्की है।

खुद को करे तैयार:
मन में दीपक जलाने और अंधेरे से मुकाबला करने के लिए अपने आपको हर तरह से तैयार भी करना होगा। अपने भीतर झांककर अपनी कमजोरियां तलाशनी होंगी और उन्हे एक-एक करके दूर करना होगा। हो सकता है कि एक-दो सफलता हासिल कर लेने के बाद ही आप ओवर-कॉन्फिडेस और आत्ममुग्धता के शिकार हो जाएं। आपका इनसे बचना बेहत जरूरी है, क्योंकि अगर एक बार इनके चंगुल में फंस गए, तो फिर आगे जाना मुश्किल हो जाएगा। यह भी ध्यान रखें कि कमजोरी हर समय आपके ऊपर आक्रमण करके आपको अपनी चपेट में लेना चाहेगी, लेकिन आपको इससे बचना होगा। इसके अलावा, समय-समय पर अपना मूल्यांकन-आत्मविश्लेषण भी करते रहना होगा।

समय के साथ-साथ:
वर्तमान टेक्नो-एज में बदलाव बहुत तेज हो गया है। ऐसे में वक्त के साथ-साथ चलना बहुत जरूरी हो गया है। जो ऐसा नहीं करेगा, जाहिर है कि वह पीछे छूट जाएगा। खुद को जागरूक और अपडेट रखने के लिए आज के समय में प्रचलित टेक्नोलॉजी और अन्य टूल्स के बारे में जानना-समझना और उन्हे अपनाना भी जरूरी है। अपनी आंखें और कान खुले रखें, ताकि ताजी हवा के झोंके आपको भी हर समय तरोताजा रखें। इस राह पर चलकर ही आप कामयाबी की रोशन राहों पर लगातार आगे बढ़ते रहेगे। कोई भी चुनौती सामने आने पर निर्भय होकर उसका सामना कर सकेंगे।

हर पल उजाला:
मन में उम्मीदों का दीया जलाकर, खुद को अच्छी तरह तैयार करके, अपना कॉन्फिडेस बढ़ाकर, वक्त के साथ चलते हुए आप हर पल रोशनी के साथ रह सकते है। मन से मजबूत और कॉन्फिडेट होने पर हर मंजिल आपको आसान लगेगी। ऐसे में जब भी आपको कोई जीत मिलेगी, तो किसी दीवाली से कम नहीं होगी। .. इस दीपावली आपके मन में उम्मीदों और खुशी का दीया जले, इसी शुभकामना के साथ..।
- इस दीपावली घर के साथ-साथ मन को भी टटोलें और उसे साफ-सुथरा कर उम्मीद का दीया जलाएं।
- अपने भीतर झांकते हुए अपनी कमजोरियों को जानें-समझें और उन्हे दूर करते हुए खुद को मजबूत बनाएं।
- मन का दीया जलाकर और अपने आपको साम‌र्थ्यवान बनाकर आप अपना कॉन्फिडेस बढ़ा सकते है।
[अरुण श्रीवास्तव]