Saturday, March 24, 2012

ध्यान की शुरुआत के पूर्व की क्रिया


वर्तमान में ध्यान की आवश्यकता बढ़ गई है। व्यग्र और बैचेन मन के चलते जहाँ व्यक्ति मानसिक तनाव से घिरा रहता हैं वहीं यह मौसमी और अन्य गंभीर रोगों की चपेट में भी आ जाता है। दवाई से कुछ हद तक रोग का निदान हो जाता है, लेकिन जीवनभर कमजोरी रह जाती है। ध्यान तो दवा, दुआ और टॉनिक तीनों का काम करता है। 
ध्यान की‍ शुरुआती हिदायत : शुरुआत में शरीर और मन की सभी हलचलों पर ध्यान दें और उनका निरीक्षण करें। शरीर पर, मन पर और आस-पास जो भी घटित हो रहा है उस पर गौर करें। विचारों के क्रिया-कलापों पर और भावों पर चुपचाप गौर करें। इस ध्यान देने के जरा से प्रयास से ही चित्त स्थिर होकर शांत होता है तथा जागरूकता बढ़ती। वर्तमान में जीने से ही जागरूकता जन्मती है। भविष्य की कल्पनाओं और अतीत के सुख-दुख में जीना ध्यान विरूद्ध है। 
ध्यान की शुरुआती विधि : प्रारंभ में सिद्धासन में बैठकर आँखें बंद कर लें और दाएँ हाथ को दाएँ घुटने पर तथा बाएँ हाथ को बाएँ घुटने पर रखकर, रीढ़ सीधी रखते हुए गहरी श्वास लें और छोड़े। सिर्फ पाँच मिनट श्वासों के इस आवागमन पर ध्यान दें कि कैसे यह श्वास भीतर कहाँ तक जाती है और फिर कैसे यह श्वास बाहर कहाँ तक आती है। पूर्णत: भीतर कर मौन का मजा लें। मौन जब घटित होता है तो व्यक्ति में साक्षी भाव का उदय होता है। सोचना शरीर की व्यर्थ क्रिया है और बोध करना मन का स्वभाव है।
ध्यान की अवधि : उपरोक्त ध्यान विधि को नियमित 30 दिनों तक करते रहें। 30 दिनों बाद इसकी समय अवधि 5 मिनट से बढ़ाकर अगले 30 दिनों के लिए 10 मिनट और फिर अगले 30 दिनों के लिए 20 मिनट कर दें। शक्ति को संवरक्षित करने के लिए 90 दिन काफी है। इससे जारी रखें।
सावधानी : ध्यान किसी स्वच्छ और शांत वातावरण में करें। ध्यान करते वक्त सोना मना है। ध्यान करते वक्त सोचना बहुत होता है। लेकिन यह सोचने पर कि 'मैं क्यों सोच रहा हूँ' कुछ देर के लिए सोच रुक जाती है। सिर्फ श्वास पर ही ध्यान दें और संकल्प कर लें कि 20 मिनट के लिए मैं अपने दिमाग को शून्य कर देना चाहता हूँ।
ध्यान के लाभ : जो व्यक्ति ध्यान करना शुरू करते हैं, वह शांत होने लगते हैं। यह शांति ही मन और शरीर को मजबूती प्रदान करती है। ध्यान आपके होश पर से भावना और विचारों के बादल को हटाकर शुद्ध रूप से आपको वर्तमान में खड़ा कर देता है।
ध्यान से ब्लडप्रेशर, घबराहट, हार्टअटैक जै‍सी बीमारियों पर कंट्रोल किया जा सकता है। ध्यान से सभी तरह के मानसिक रोग, टेंशन और डिप्रेशन दूर होते हैं। ध्यान से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता हैं। स्मृति दोष में लाभ मिलता है। तेज और एकाग्र दिमाग के लिए ध्यान करना एक उत्तम और कारगर उपाय है। ध्यान से आँखों को राहत मिलती है जिससे उसकी देखने की क्षमता का विकास होता है। 

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