Wednesday, May 11, 2011

सृष्टि का कौन है कर्ता

सृष्टि से पहले सत नहीं था
असत भी नहीं, अंतरिक्ष भी नहीं, आकाश भी नहीं था असत भी नहीं, अंतरिक्ष भी नहीं, आकाश भी नहीं था
छिपा था क्या, कहाँ किसने ढका था छिपा था क्या, कहाँ किसने ढका था
उस पल तो अगम अतल जल भी कहां था | पल तो अगम अतल जल भी कहां था | उस

सृष्टि का कौन है कर्ता? सृष्टि का कौन है कर्ता? कर्ता है या है विकर्ता? कर्ता है या है विकर्ता?
ऊँचे आकाश में रहता, सदा अध्यक्ष बना रहता ऊँचे आकाश में रहता, सदा अध्यक्ष बना रहता
वही सचमुच में जानता, या नहीं भी जानता वही सचमुच में जानता, या नहीं भी जानता
है किसी को नही पता, नही पता है किसी को नही पता, नही पता
नही है पता... नही है पता ...
नही है पता... नही है पता ...
वो था हिरण्य गर्भ सृष्टि से पहले विद्यमान, वही तो सारे भूत जाति का स्वामी महान
जो है अस्तित्वमान धरती आसमान धारण कर, जो है अस्तित्वमान धरती आसमान धारण कर,
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकर ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकर

जिस के बल पर तेजोमय है अंबर, पृथ्वी हरी भरी स्थापित स्थिर जिस के बल पर तेजोमय है अंबर, पृथ्वी हरी भरी स्थापित स्थिर
स्वर्ग और सूरज भी स्थिर,ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकर स्वर्ग और सूरज भी स्थिर, ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकर

गर्भ में अपने अग्नि धारण कर पैदा कर,व्यापा था जल इधर उधर नीचे ऊपर गर्भ में अपने अग्नि धारण कर पैदा कर, व्यापा था जल इधर उधर नीचे ऊपर
जगा चुके व एकमेव प्राण बनकर,
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकर जगा चुके व एकमेव प्राण बनकर, 
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकर

ऊँ!सृष्टि निर्माता,स्वर्ग रचयिता पूर्वज रक्षा कर,
ऊँ सृष्टि! निर्माता, स्वर्ग रचयिता पूर्वज रक्षा कर,
सत्य धर्म पालक अतुल जल नियामक रक्षा कर सत्य धर्म पालक अतुल जल नियामक रक्षा कर
फैली हैं दिशायें बाहु जैसी उसकी सब में सब पर, फैली हैं दिशायें बाहु जैसी उसकी सब में सब पर,
ऐसे ही देवता की उपासना करें हम हवि देकर ऐसे ही देवता की उपासना करें हम हवि देकर
ऐसे ही देवता की उपासना करें हम हवि देकर ऐसे ही देवता की उपासना करें हम हवि देकर


सृष्टि से पहले सत नहीं था, असत भी नहीं
अन्तरिक्ष भी नहीं, आकाश भी नहीं था
छिपा था क्या, कहाँ, किसने देखा था
उस पल तो अगम, अतल जल भी कहाँ था

सृष्टि का कौन है कर्ता
कर्ता है वा अकर्ता
ऊँचे आकाश में रहता
सदाअ अध्यक्ष बना रहता
वही तो सच\-मुच में जानता, या नहीं भी जानता
है किसी को नहीं पता
नहीं पता

वह था हिरण्यगर्भ सृष्टि से पहले विद्यमान
वही तो सारे भूत\-जात का स्वामी महान
जो है अस्तित्वमान धरती\-आसमान धारण कर
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकर



जिस के बल पर तेजोमय है अम्बर
पृथ्वी हरी\-भरी स्थापित स्थिर
स्वर्ग और सूरज भी स्थिर
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकर

गर्भ में अपने अग्नि धारण कर पैदा कर
व्यापा था जल इधर\-उधर नीचे\-ऊपर
जगा चुके वो कई एकमेव प्राण बनकर
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकर

ॐ! सृष्टि\-निर्माता स्वर्ग\-रचयिता पूर्वज, रक्षा कर
सत्यधर्म\-पालक अतुल जल नियामक, रक्षा कर
फैली हैं दिशायें बाहु जैसी उसकी, सब में, सब पर
ऐसे ही देवता की उपासना करें हम हवि देकर
ऐसे ही देवता की उपासना करें हम हवि देकर

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