Tuesday, April 26, 2011

मन के पार एक मन

सम्मोहन विद्या भारतवर्ष की प्राचीनतम विद्या है। इसे योग में 'प्राण विद्या' या 'त्रिकालविद्या' के नाम से जाना जाता रहा है। अंग्रेजी में इसे हिप्नटिज़म कहते हैं। विश्वभर में हिप्नटिज़म के जरिए बहुत से असाध्य रोगों का इलाज भी किया जाता रहा है। आज भी सम्मोहन सिखाने या इस विद्या के माध्यम से इलाज करने के लिए बहुत सारे केंद्र प्रमुख शहरों में संचालित हो रहे हैं।

मन को सम्मोहित करना : मन के कई स्तर होते हैं। उनमें से एक है आदिम आत्म चेतन मन। आदिम आत्म चेतन मन न तो विचार करता है और न ही निर्णय लेता है। उक्त मन का संबंध हमारे सूक्ष्म शरीर से होता है। यह मन हमें आने वाले खतरे या उक्त खतरों से बचने के तरीके बताता है। यह छटी इंद्री जैसा है या समझे की यह सूक्ष शरीर ही है। गहरी नींद में इसका आभास होता हैं।

यह मन लगातार हमारी रक्षा करता रहता है। हमें होने वाली बीमारी की यह मन छह माह पूर्व ही सूचना दे देता है और यदि हम बीमार हैं तो यह हमें स्वस्थ रखने का प्रयास करता है। बौद्धिकता और अहंकार के चलते हम उक्त मन की सुनी-अनसुनी कर देते हैं। उक्त मन को साधना ही सम्मोहन है या उक्त मन में जाग जाना ही सम्मोहन है।

मन के पार एक मन : जब आप गहरी नींद में सो जाते हैं तो यह मन सक्रिय हो जाता है। चेतन मन अर्थात जागी हुई अवस्था में सोचने और विचार करने वाला मन जब सो जाता है तब अचेतन मन जाग्रत हो जाता हैं, जिसके माध्यम से व्यक्ति या तो सपने देखता है या गहरी नींद का मजा लेता है, लेकिन व्यक्ति जब सोते हुए भी उक्त मन में जाग जाए अर्थात होशपूर्ण रहे तो यह मन के पार चेतना का दूसरे मन में प्रवेश कर जाना है, जहाँ रहकर व्यक्ति अपार शक्ति का अनुभव करता है।

यह संभव है अभ्यास से। यह बहुत सरल है, जबकि आप यह महसूस करो कि आपका शरीर सो रहा है, लेकिन आप जाग रहे हैं। इसका मतलब यह कि आप स्थूल शरीर से सूक्ष्म शरीर में प्रवेश कर गए हैं तो आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है क्योंकि इसके खतरे भी है।

मन को साधने का असर : सम्मोहन द्वारा मन की एकाग्रता, वाणी का प्रभाव व दृष्टि मात्र से उपासक अपने संकल्प को पूर्ण कर लेता है। इससे विचारों का संप्रेषण (टेलीपैथिक), दूसरे के मनोभावों को ज्ञात करना, अदृश्य वस्तु या आत्मा को देखना और दूरस्थ दृश्यों को जाना जा सकता है। इसके सधने से व्यक्ति को बीमारी या रोग के होने का पूर्वाभास हो जाता है।

कैसे साधें इस मन को : प्राणायम से साधे प्रत्याहार को और प्रत्याहार से धारणा को। इसको साधने के लिए त्राटक भी कर सकते हैं त्राटक भी कई प्रकार से किया जाता है। ध्यान, प्राणायाम और नेत्र त्राटक द्वारा सम्मोहन की शक्ति को जगाया जा सकता है। त्राटक उपासना को हठयोग में दिव्य साधना से संबोधित किया गया है। उक्त मन को सहज रूप से भी साधा जा सकता है। इसके लिए आप प्रतिदिन सुबह और शाम को प्राणायाम के साथ ध्यान करें।

अन्य तरीके : कुछ लोग अँगूठे को आँखों की सीध में रखकर तो, कुछ लोग स्पाइरल (सम्मोहन चक्र), कुछ लोग घड़ी के पेंडुलम को हिलाते हुए, कुछ लोग लाल बल्ब को एकटक देखते हुए और कुछ लोग मोमबत्ती को एकटक देखते हुए भी उक्त साधना को करते हैं, लेकिन यह कितना सही है यह हम नहीं जानते।

आप उक्त साधना के बारे में जानकारी प्राप्त कर किसी योग्य गुरु के सान्निध्य में ही साधना करें।

- अनिरुद्ध जोशी 'शतायु' 

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