Saturday, September 12, 2009

शनि का कन्या में गमन

भारती पंडित
9 सितंबर 09 को यानी 9-9-09 के अद्‍भुत संयोग वाले दिन शनि देव सिंह राशि से कन्या में प्रवेश कर रहे हैं। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में कन्या में लोहे के पाये से प्रवेश के कारण ये पहले 90 दिन पीड़ाकारक रहेंगे। वृषभ व मकर राशि वालों को ढैया से मुक्ति मिलेगी, कर्क राशि भी साढ़ेसाती से मुक्त होगी। वही तुला पर साढ़ेसाती व मिथुन व कुंभ के लिए ढैया का प्रारंभ होगा। आइए देखें शनिदेव के आगमन से अन्य राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

मेष : मेष राशि के लिए शनि स्वास्थ्य लाभ व धन लाभ देंगे मगर चिंताएँ लेकर आएँगे। परिवार, संतान व व्यापार-नौकरी संबंधित चिंताएँ परेशान कर सकती हैं।

वृषभ : हालाँकि ढैया से मुक्ति हो रही है। फिर भी पीड़ा व स्त्री-पुत्र को स्वास्थ्य कष्ट हो सकता है। सोच-समझकर निर्णय लेना चाहिए।

मिथुन : ढैया शुरू हो रही है। पीड़ाकारक है ये शनिदेव- भाई-परिवार से विवाद, यात्रा में कष्ट-भागदौड़, हानि व चिंता के योग हैं। नौकरी में भी सावधानी रखें।


कर्क : अच्छा समय है। पराक्रम वृद्धि, शत्रु विजय, धन लाभ, प्रमोशन व स्थानांतरण की सौगात लाए हैं शनिदेव।

सिंह : धनलाभ के योग हैं मगर बेहद भागदौड़ के बाद। चोट-चपेट का भी भय रहेगा। नौकरी में भी कष्ट हो सकता है। निर्णय लेते समय जल्दबाजी न करें।

कन्या : आलस्य, मानसिक पीड़ा व भय लेकर आ रहे हैं ये शनिदेव। वाद-विवाद व व्यर्थ भागदौड़ होगी, धन हानि के भी योग हैं। सावधानी रखना चाहिए।

तुला : साढ़ेसाती प्रारंभ है मगर ताँबे के पाये से हैं अत: श्रम व कष्ट बढ़ेगा, भागदौड़ करनी होगी परंतु साथ ही धन-वाहन सुख तथा अन्य सुविधाएँ बढ़ाने आ रहे हैं शनिदेव।

वृश्चिक : अच्छा समय, मान-सम्मान व धन प्राप्ति होगी। शुभ फल मिलेंगे, वाहन मशीनरी से लाभ होगा। मानसिक कष्ट दूर होंगे।

धनु : धन लाभ व आर्थिक अनुकूलता के योग तो बनेंगे मगर खर्च बढ़ने, भागदौड़-श्रम होने व स्थानांतरण के योग भी हैं। पेट व छाती के रोगों से सावधानी रखें।

मकर : ढैया से मुक्ति है मगर चिंता बनी रहेगी। कार्य की सफलता के लिए बेहद श्रम करना होगा। शरीर कष्ट रहेगा। वाहन भी सावधानी से चलाना चाहिए।

कुंभ : ढैया का प्रारंभ है मगर स्वराशि होने से शनिदेव अनुकूलता बनाएँगे। सुख-सुविधाएँ बढ़ेंगी। मगर जीवन अव्यवस्थित हो जाएगा, अधिक रिस्क नहीं लेना चाहिए। इस दौरान कर्ज लेने से भी बचें। शेष स्थिति ठीक है।

मीन : मानसिक तनाव व ढेर सारी भागदौड़ के बाद धन लाभ दिलाएँगे शनिदेव। व्यर्थ चिंता व डर भी रहेगा। दूर यात्रा का योग भी बन सकता है। धन का सही नियोजन करना सीखिए।

Shani dev Shani Grah 1. साढ़ेसाती के साढ़े सात वर्षों में से लगभग 46 महीने का समय शुभ व उन्नतिदायक ही रहता है। अत: यदि शेष माह सावधानी से बिताएँ जाएँ तो अशुभ प्रभाव न के बराबर अनुभव में आते हैं।

2.
पत्रिका में यदि शनि 3-6-11 या 5-9 स्थानों में हो, त्रिकोणेश या लग्नेश हो तो शुभ प्रभाव अधिक मिलते हैं।

3.
शनि की प्रतिकूल स्थिति में शनि का दान करना, शनि चालीसा पढ़ना, हनुमानजी की उपासना करना, शनि स्तोत्र पढ़ना व काले कुत्ते की सेवा करना अच्छा होता है।

4.
यदि व्यक्ति नियमबद्ध आचरण करता है, संस्कारशील है, माँस-मदिरा से दूर रहता है, लोगों की सहायता व स्त्री का सम्मान करता है। ईमानदार है तो शनिदेव उसे कभी परेशान नहीं करते।

शनि का कन्या राशि में आगमन

बारह राशियों पर प्रभाव शनि का राशि परिवर्तन
पं. अशोक पँवार 'मयंक'

ढाई वर्ष सिंह राशि वालों को किया परेशान अब कन्या की बारी है। शनि का कन्या राशि में आगमन 9 सितंबर को रात्रि में 11.30 पर वृषभ लग्न में उत्तरा फाल्गुनी के द्वितीय चरण में हो रहा है। शनि वृषभ लग्न में प्रवेश कर पंचम भाव में उच्च के बुध के साथ आ रहा है। जहाँ लग्न में मित्र राशि का है वहीं नवांश लग्न में स्वराशि मकर का रहेगा। शनि का राशि परिवर्तन कैसा रहेगा, आइए जानें।

राशियों पर प्रभाव :
मेष- मेष राशि वालों के लिए शनि का गोचरीय भ्रमण षष्ट भाव पर होने से रोग-शोक दूर होंगे, कर्ज की स्थिति में कमी, वाहनादि सावधानी से चलाएँ। प्रवास के योग बनेंगे, बाहरी संबंधों में सुधार रहेगा। पराक्रम में वृद्धि, भाइयों का सहयोग, शत्रु नष्ट होंगे।

वृषभ- वृषभ राशि वालों के लिए शनि का गोचरीय भ्रमण पंचम भाव से होने के कारण संतान से लाभ, दिमागी कार्यों में सफलता रहेगी। स्त्री कष्ट, दैनिक व्यापार में कुछ कमी रहेगी, धन लाभ मिला-जुला रहेगा, वाणी का प्रभाव बढ़ेगा, कुटुंब का सहयोग रहेगा।

मिथुन- इस राशि पर ढैया सोने के पाद से होने के कारण निजीजन विरोध, शत्रु बढ़ेंगे, गृहक्लेश, व्यय, धननाश व शारीरिक पीड़ा होगी।

कर्क- कर्क राशि वालों पर शनि का गोचरीय भ्रमण तृतीय भाव में होने के कारण पराक्रम में वृद्धि, शत्रु नाश, संतान को, विद्यार्थियों को कष्ट रहेगा, भाग्य में मिली-जुली स्थिति रहेगी। बाहरी मामलों में सावधानी बरतें, यात्रा में संभलकर चलें।

सिंह- शनि सिंह राशि पर उतरती रजत पाद पर होने से व्यापार में प्रगति, धन-धान्य, समृद्धि, प्रभाव क्षेत्र बढ़ेगा, सम्मान प्राप्त होगा, सुख-संपदा में लाभ, घर में मांगलिक कार्य होंगे।

कन्या- कन्या राशि पर ह्रदय पर लोह पाद पर होने से शारीरिक कष्ट, रक्त-पित्त विकार, स्त्री कष्ट, संतान को कष्ट, व्यापार में हानि, राजभय यानी सर्विस के क्षेत्र में बाधा रहेगी।


तुला- तुला पर ताँबे के पाद पर लगती शनि की साढ़ेसाती धन-धान्य, समृद्धि, स्त्री-पुत्र सुख, सुख-संपत्ति लाभ, व्यवसाय में प्रगति, शारीरिक सुख।

वृश्चिक- वृश्चिक राशि पर शनि का गोचरीय भ्रमण एकादश भाव से करने के कारण आय में लाभ देगा, लेकिन शारीरिक पीड़ा, चिड़चिड़ापन भी रहेगा। संतान व विद्या के क्षेत्र में मिली-जुली स्थिति रहेगी, आयु में लाभ रहेगा।

धनु- धनु राशि वालों के लिए शनि का गोचरीय भ्रमण दशम भाव में होने से राज्य, व्यापार, नौकरी में लाभ व सहयोग मिलेगा, पिता से लाभ व सहयोग पाएँगे। बाहरी मामलों में सावधानी रखें, माता, जमीन-जायदाद में मिली-जुली स्थिति रहेगी। स्त्री से सहयोग, विवाह योग बनेंगे।

मकर- मकर राशि वालों के लिए भाग्य नवम भाव से भ्रमण करने से भाग्य में वृद्धि, धर्म-कर्म में सहयोग, आय में सावधानी रखें, शेयर बाजार में जोखिम से बचें। भाई से सहयोग, पराक्रम में वृद्धि, शत्रु नष्ट, मामा पक्ष से लाभ व सहयोग रहेगा।

कुंभ- कुंभ पर शनि का ढैया ताम्र पाद पर होने से धन-धान्य समृद्धि, स्त्री-पुत्र सुख, आर्थिक लाभ, संपत्ति लाभ, व्यापार-व्यवसाय में उन्नति, स्वास्थ्य लाभ रहेगा।

मीन- मीन राशि वालों के लिए शनि का भ्रमण सप्तम से होने से दाम्पत्य जीवन में सुधार, अविवाहित के लिए खुश-खबर, स्वप्रयत्नों से प्रगति होगी व माता के स्वास्थ्य में सुधार, पारिवारिक स्थिति ठीक रहेगी। बाकी राशियों के बारे में साढ़ेसाती व ढैया में देखें।


बाजार की स्थिति कैसी रहेगी - जब भी कन्या राशि में शनि का प्रवेश हुआ है तभी राजनीतिक व प्राकृतिक कारणों से बाजारों में तेजी का रुख रहा है। शनि का सीधा प्रभाव कच्ची फसलों व पैदावार पर पड़ता है। इसका असर शेयर बाजार में, लोहा व लोहे की मशीनरी, पेट्रोल, डीजल पर भी देखा गया है। अलसी, कपास, सरसों में तेजी का रुख रहता है। गुड़, खाण्ड, नमक व अनाजों में तेजी और सोना, रूई तेज रहेगी। चाँदी में जरूर घट-बढ़ रहेगी।

भारत पर प्रभाव कैसा रहेगा - स्वतंत्र भारत का लग्न वृषभ है। इस प्रकार से देखा जाए तो शनि का गोचरीय भ्रमण पंचम से होगा और शनि स्व‍तंत्र लग्न में तृतीय भाव में चन्द्र की राशि कर्क पर है। इस प्रकार से शनि का पंचम भाव पर दोगुना प्रभाव होने से विद्यार्थी वर्ग कष्ट अनुभव करेगा, मनोरंजन के क्षेत्र पर विपरीत प्रभाव रहेगा।

दैनिक व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति परेशानी का अनुभव करेंगे। स्त्रियों को कष्ट रहेगा, सत्ता पक्ष के नेतागण अपनी बुद्धि बल द्वारा प्रत्येक क्षेत्र में सफल होंगे, अपने लाभ के लिए कार्य करेंगे। भारत की आय में मिली-जुली स्थिति रहेगी, भाग्य के क्षेत्र में वृद्धि होगी। भारतीय कोष में धन की वृद्धि होने की संभावना है। सैन्य प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त रखना होगा। पड़ोसी देश से खतरा रहने की संभावना रहेगी।